अस्पताल में खड़ी जीप में शव |
घनश्याम
पटौदी,
स्वास्थ्य
विभाग की लचर व्यवस्था और पटौदी सामान्य अस्पताल की है। अमानवीय घटना उस
समय को देखने के लिए मिली जब एक कोरोना पॉजिट व्यक्ति का सब सुबह 4:00 शव
यहां पहुँचा लेकिन देर शाम तक खुले आसमान के तले पड़ा रहा। इस दौरान मृतक के
परिजनों का सरकार से विश्वास तो उठ ही गया इसके साथ-साथ सरकार की नीतियों
और चिकनी चिकनी बातों से भी उनका विश्वास उठ गया। हैरत की बात यह है कि
अस्पताल के एक भी डॉ ने मानवीय पहल नहीं की और शव को देखा भी नहीं।
प्राप्त
जानकारी के अनुसार झज्जर जिले के गांव पटौदा में एक निजी कंपनी में
कार्यरत को बीते कुछ दिनों से बुखार था 4 सितंबर उन्हें कोड पॉजिटिव होने
की सूचना। मेडिकल अधिकारियों द्वारा दी गई। कोरोना होने की सूचना के बाद
रोगी को उसके कमरे पर ही क्युरिनटीन कर दिया गया। परिजनों का आरोप है कि इस
दौरान उनके पिता की किसी ने कोई शुद्ध नहीं ली नही तो सरकारी अधिकारी वहां
पहुंचे और मैं ही चिकित्सा विभाग के कर्मचारी वहां पहुंचे।
क्या हुआ सोमवार को
साठ वर्षीय मृतक
किशोर उत्तर प्रदेश का मूल निवासी था उसके बेटे के अनुसार सोमवार की
सुबह उनके पिता की हालत ज्यादा खराब हो गई जिस के बाद सुबह 3:00 बजे ही एक
निजी पिकअप गाड़ी में उन्हें रखकर सामान्य अस्पताल पटोदी पहुंचे।यहां
पहुंचने के बाद यहां के कर्मचारियों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया उनके मत
घोषित करने के बाद परिजनों ने बताया कि होना से संक्रमित थे जिस के बाद सभी
सबसे पीछे हट गए और देर शाम 5:00 बजे तक किसी अधिकारी और कर्मचारी ने शव
को संभाला तक नहीं जिसके कारण सब खुले आसमान के तले पर आ रहा।
मीडिया के बाद हरकत शुरू
शव
के खुले आसमान नीचे पड़ा रहने की सूचना जैसे ही मीडिया कर्मचारियों को
मिली वह तत्काल मौके पर पहुंचे। मीडिया की सक्रियता को देखते हुए अस्पताल
प्रशासन सकते में आया और आनंन फानन में लगभग 14 घंटों बाद खुले में पड़े
शव को संभाला गया।
संबंध में जब वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी नीरु यादव से बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल बंद आ रहा था।
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