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Thursday, June 25, 2020

आपातकाल इतिहास के काले अक्षरों में लिखा जाता रहेगा : सुशील गिरी

स्वामी सुशील गिरी जी महाराज
कुमार ललित,
जब तक सूरज चांद रहेगा तब तक विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र पर दुस्साहस पूर्वक लगाये गये आपातकाल के इतिहास के काले अक्षरों में लिखा जाता रहेगा। आज से 45 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल पर मानवादी विचार धारा पर जीवन जीने वाले वसुधैव कुटुम्बकम् के अध्यक्ष स्वामी सुशील गिरी सच्चिदानंद ने अपनी बात रखते हुए कहा कि
आज से 45 वर्ष पहले देश के एक राजनैतिक घराने ने अपनी विफलताओं को छिपाने और खुद को ही भारत का राज परिवार समझने के अहंकार के कारण करोड़ों लोगों को आपातकाल के अंधकार में झोंक दिया । 21 महीनों के इस काले अध्याय में लोकतंत्र की हत्या कई रूपों में हुई, जिन्होंने विरोध किया वो कालकोठरी में भेज दिए गए चाहे विपक्ष के नेता हों, पत्रकार हों, स्वयंसेवी हों या कोई और । जो चाटुकारिता करते रहे उनकी पुश्तें आज न्यायपालिका, ब्यूरोक्रेसी, पत्रकारिता और बिजनेस वर्ल्ड में खास ओहदा पाए बैठे हैं । इस राजनीतिक परिवार की गलत नीतियों के परिणाम बहुत घातक और विध्वंसकारी रहे । 1947 में सत्ता के लिये भारत का बिना सोचे समझे विभाजन कर दिया जिसमें लाखों लोग या तो मर गए या बेघर हो गए, 1948 में POK के रूप में कश्मीर का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया और आर्टिकल 370 लगाकर सम्प्रदाय विशेष को तुष्ट किया जिसका दुष्परिणाम वर्षो तक वहां के हिंदुओं, सिखों और सैनिकों ने झेला । 1975 में सत्ता के लिये ही आपातकाल लगाया क्योंकि जयनारायण ने इलाहाबाद हाइकोर्ट में लोकसभा चुनाव की जांच की मांग की जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक सहमति दी । 1990 में कश्मीरी पंडितों की हत्या और पलायन आदि आदि । आपातकाल सिर्फ एक बार नहीं बल्कि बार बार अलग अलग रूपों में लगता रहा । आज यही परिवार कभी भारत के टुकड़े करने के मंसूबे रखने वाले गैंग के साथ खड़ा मिलता है, तो कभी सुप्रीम कोर्ट में लिखित में कहता है कि श्रीराम का कोई अस्तित्व नहीं वो महज एक काल्पनिक पात्र हैं । वर्तमान में जब चीन से विवाद चल रहा है तब इसकी पृष्ठभूमि में भी इसी परिवार की घोर अदूरदर्शिता और भारत विरोधी नीति का पता चल रहा है । इस परिवार की पिछली सरकारों ने गुपचुप तरीकों से चीन से ऐसी सन्धियाँ की हैं जिससे हमारे सैनिक अपने ही क्षेत्र में निर्माण कार्य नहीं कर सकते । 20 सैनिकों का बलिदान जिस स्थान पर हुआ उस जगह को मिलाकर करीब 75000 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र (02 हरियाणा के बराबर) 1962 में चीन को दे दिया ।
अंत में यही कहा जा सकता है कि ये आस्तीन में छिपे हुए सांप की तरह हैं जो मौका मिलते ही जहर फैलाते हैं । 2014 के बाद से ये परिवार सत्ता से दूर होता गया है, इस छटपटाहट में कभी तीन तलाक़ को मुस्लिमों के अधिकारों का हनन बताता है, कभी चीन के विदेश मंत्री से भारत की शिकायत करता है, कभी तबरेज नाम के चोर की हत्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित करता है लेकिन पालघर में सन्तों की साजिशन हत्या पर चुप्पी साध लेता है । ऐसे अनगिनत उदाहरण पब्लिक प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध हैं जिन्हें आसानी से पढ़ा जा सकता है । लेकिन दुख और दुर्भाग्य इस बात का है कि इतना सब करने के बाद भी ये परिवार लगातार अपने कुत्सित प्रयासों में लगा है जिसे रोकने की आवश्यकता है। 
विवेकानंद विचार मंच मानव निर्माण अभियान कथा वाचक पं०देवेश कृष्ण सच्चिदानंद  70 वर्षीय समाजिक कार्यकर्ता सुरेन्द्र गर्ग पर्व पार्षद श्री पाल चौहान विजय पाल चौहान ललित मेडीकोज जय सियाराम पुस्तकालय के प्रबंधक योगेश चौहान पार्षद मदन लाल गुप्ता सुभाष गुप्ता  विद्यार्थी सेवा मंडल के संयोजक उमेश सैनी ने भी थोपे गये आपातकाल को काले अध्याय की संज्ञा देते हुए कहा जो कुरुर्ता आपातकाल में हुई इस कुरुर्ता ने औरंगजेब के ज़ुल्म को भी पीछे छोड़ दिया।

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