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Monday, October 5, 2020

ये दौर सियासत का, क्या खूब़ फस़ाना है , बस्ती भी जलानी है, मातम भी मनाना है।


 वर्तमान सियासत किस स्तर पर आ चुकी है ये हाथरस वाले मामले में हम सब देख ही रहे हैं । एक लड़की के दुखद और पीड़ादायक अंत के बाद जैसे लोकतंत्र के गिद्धों को मानवता का मांस नोचने का अवसर मिल गया । विपक्ष के नेता जबरदस्ती अपने काफ़िले और समर्थकों के साथ हाथरस पहुंचना चाहते हैं और पीड़ित परिवार से मिलकर ये जताना चाहते हैं कि वे उनके साथ हैं ।लेकिन जब लड़की अलीगढ़ के अस्पताल में हफ्ते भर से भर्ती थी तब कोई नहीं गया, जब दिल्ली के  सफदरजंग अस्पताल में भर्ती थी तब भी कोई नहीं गया लेकिन जब वो अपनी बदकिस्मती लेकर मर गयी तो इनके अंदर का दलित प्रेम उमड़ पड़ा और ये उसकी लाश पर अपना सियासी वजूद ढूंढने निकल पड़े । 

किसी ने सही ही कहा है की

ये दौर सियासत का, क्या खूब़ फस़ाना है ,

बस्ती भी जलानी है, मातम भी मनाना है ।

कल राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा नाम के दो बंटी बबली पहुंचे और बन्द कमरे में परिवार से कुछ बातें कीं, मीडिया को बाईट दी और पंजाब की सोफे वाली ट्रैक्टर रैली को कूच कर गए । किसी प्रशासनिक अधिकारी से नहीं मिले और ना ही गाँव के जिम्मेदार लोगों से कोई बात की । इस पोलिटिकल टूरिज्म का फायदा उठाने आज दूसरे दलों के नेता भी पहुंचे जिसमें भीम आर्मी का चन्द्रशेखर भी था जो एन्टी CAA प्रोटेस्ट के बाद से इंटेलीजेंस की रडार पर है । खैर सवाल ये कि सभी हाथरस ही क्यों जा रहे हैं । इन्हें बलरामपुर, आजमगढ़, बुलन्दशहर क्यों नहीं दिखता वो भी तो यूपी में है और वहां भी तो योगी सरकार को घेरा जा सकता है । लेकिन वहाँ कोई इसलिए नहीं जाना चाहता क्योंकि इन जगहों पर आरोपी मुसलमान हैं जिनके खिलाफ ये बोल नहीं सकते क्योंकि मुसलमानों का वोट तो सबसे जरूरी है इनके लिये । रेप रेप में फर्क ढूंढने वाले किस हद के असंवेदनशील हैं इसका अंदाजा लगाया जा सकता है ।इसलिए एक सिंगल ट्वीट तक आरोपियों के विरुद्ध नहीं किया गया इन नरभक्षियों द्वारा । राजस्थान के तीन स्थानों पर रेप हुआ पर वहाँ इनकी सरकार है तो वहां के लिए मुँह सिल चुका है, वहां के लिए श्रीमती वाड्रा की नारीत्व की भावना खत्म हो जाती है। कुल मिलाकर हिन्दू समाज को वर्गों में बांट कर,  जातीय हिंसा फैला कर सिर्फ सियासी फायदा लेने की होड़ मची है । हिन्दू समाज को तोड़ने की हर इस मंशा को तोड़ दिया जाना चाहिए । मृत बच्ची को न्याय मिले, ऐसी मांग पूरा हिन्दू समाज कर रहा है किंतु जातीय घृणा फैलाने की कोशिश करने डेरेक ओब्रायन जैसे नमूने बंगाल से चले आ रहे हैं । इसलिए इस तरह के प्रोपगेंडा को समझना और प्रचारित करना आवश्यक है ताकि एकजुट हिन्दू समाज इन्हें सबक सिखा सके ।


डॉ शशांक

असिस्टेंट प्रोफेसर

गलगोटियाज विश्वविद्यालय

ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश

(नवयुग, विवेकानंद विचार मंच व मानव निर्माण अभियान जैसी संस्थाओं से जुड़े हैं )



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